what is solution to remove corrupt admin?

मंगलवार, 29 जनवरी 2013

niti aniti



अस्माकं देशे राज्यते उलूक:



बहुदा प्रकारे , नाना आकारे , चुनाव त्योहारे पश्यन्ते :

   इति लक्ष्मी प्रियस्य  , रावण सुतस्य लघु व्याकरणे ,

         








बुधवार, 23 जनवरी 2013

मेरा  मित्र - एक नयी रचना -



 kisi se kuch kehna hai
kisi se kuch sunna hai..........................................2
valentine day ke din
valentine day ke din...............................................2

pyar tumse hai, kehna saka main kabhi
ye jaan tumse hai, kehna saka main kabhi
apne ye dil ka raj,tumse kehna hai
kab koi dil ki baat, zuban se kehta hai
valentine day ke din
valentine day ke din...............................................2


in oss ki bundon se,  singar tum karo
chanda se mango taare, unhen maang men bharo
surmai andhere main ban ke ujaala tum
milne aao aaj, ek ho jayen hum
valentine day ke din
valentine day ke din...............................................2


kisi se kuch kehna hai
kisi se kuch sunna hai..........................................2
valentine day ke din
valentine day ke din...............................................2
                                                                       
      

आपको यह लिरिक्स कैसी लगी

 कृपया कमेंट्स में  बताएं



धन्यवाद 

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

nayi pratibha

आप जानते हैं कि ' 
सब लोग यहाँ पर जिंदगी की आप़ा धापी में लगे रहते हैं ..पर कुछ लोग कुछ हट कर सोचते हैं और कोशिश करते हैं .. यही लोग नया करते हैं और सबको नयी दिशा देते हैं -उनको इनाम और प्रंशंषा मिलती हैं 





पर यहाँ मैं एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बोल रहा हूँ जो की आम आदमी कहलाता है और जो इसको अपनी जरूरत अथवा दुसरे शब्दों मैं मजबूरी कहता है -

सामान्यतः हर जगह आपको -  झुग्गी झोपड़ी मैं ऐसी प्रतिभा दिखेगी

कभी सोचा हैं की आप जान भी नही, पते हैं , कितनी चिंगारी ऐसे ही जलती बुझती रहत्ती  हैं


इसका कारण क्या है की भारत मैं इनका कोई पैरोकार नहीं और न ही इनको होसला देकर इन चिंगारी को आग़    बनाने वाला

मैं चाहुगा की आप अपनी राय  मुझे भेज़े

धन्यवाद्

जय भारती


पुलिस क्यों है ?

यहाँ लखनऊ का इतिहास गवाह है ....पुलिस हमेशा जनता को ताकत से दबाने के काम में लायी जाती रही हैजो की आज भी जारी हैपर यह सोचना जरूरी है कि यह आज के सभ्य समाज में पुलिस क्या वाही काम जारी रखे

अपराध को रोकने के लिए उसे साधारण जन से मित्र सम्बन्ध और अपनी ईमानदारी को जनता के सामने दिखाएँ

पर ऊपर कि सारी बाते उलटी हो रही हैं और उनके ठीक होने कि उम्मीद जनता खो चुकी है


ऐसे में यही जनता को करना चाहिए कि आपस में साथ देकर इसका विरोध करें और पुलिस से असहयोग करें

आज आम जनता थाने जाने से डरती है क्योंकि उसके साथ डर , भद्दी भाषा और वहां से भाग जाने जैसा बर्ताव किया जा रहा है


अन्दर कि बात तो यह है कि वहां से ही सारे अपराध नियंत्रित होते हैं जहाँ कि अपराधियों के साथ सहयोग होता है और कमजोर को फसाया और थाने में बंद किया जाता हैऔर क़ानून के साथ खेल और तमाशा किया जा रहा है


पता नहीं सरकार क्या देखती है और उसका इसपर ध्यान क्यों नहीं या वोह बेखबर ही रहना चाहती है


सरकार को चाहिए कि ऍफ़ आर को थाने से हटाकर एक अलग केन्द्र पर दर्ज करें जो कि jeलाधिकारी  या मुख्या मंत्री के पास हो और जनता को उनकी जवाबदेही हो ।